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ऑपरेटिंग सिस्टम में वर्चुअल मेमोरी क्या है | What is Virtual Memory in Operating System in Hindi

हेल्लो पाठकों !

क्या आप जानना चाहते है, ऑपरेटिंग सिस्टम में वर्चुअल मेमोरी क्या है (What is Virtual Memory in Operating System in Hindi), वर्चुअल मेमोरी का उपयोग क्या है, इसके फायदे औ नुकसान क्या है, वर्चुअल मेमोरी कैसे काम करती है ।

तो चलिए वर्चुअल मेमोरी के बारे में विस्तार से जानते है ।

ऑपरेटिंग सिस्टम में वर्चुअल मेमोरी क्या है (What is Virtual Memory in Operating System in Hindi) ?

वर्चुअल मेमोरी कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम में उपयोग की जाने वाली एक सामान्य तकनीक है । वर्चुअल मेमोरी एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है जहां सेकेंडरी मेमोरी का उपयोग इस तरह किया जा सकता है जैसे कि यह मुख्य मेमोरी का एक हिस्सा हो ।

वर्चुअल मेमोरी एक स्टोरेज मैकेनिज्म है जो यूजर को एक बहुत बड़ी मेन मेमोरी होने का भ्रम प्रदान करता है । यह सेकेंडरी मेमोरी के एक हिस्से को मुख्य मेमोरी मानकर किया जाता है ।

वर्चुअल मेमोरी में, यूजर उपलब्ध मुख्य मेमोरी की तुलना में बड़े आकार के साथ प्रक्रियाओं को स्टोर कर सकता है ।

वर्चुअल मेमोरी का उपयोग क्यों किया जाता है (Why used Virtual Memory) ?

आजकल अधिकांश पर्सनल कंप्यूटर कम से कम 8 जीबी रैम के साथ आते हैं । लेकिन, कभी कभी एक बार में कई प्रोग्राम चलाने के लिए यह पर्याप्त नहीं होता है । यह वह जगह है जहां वर्चुअल मेमोरी आती है ।

वर्चुअल मेमोरी डेटा को स्वैप करके रैम को मुक्त करती है जिसे हाल ही में स्टोरेज डिवाइस जैसे हार्ड डाइव या सॉलिड स्टेट डाइव पर उपयोग नहीं किया गया हैं ।

वर्चुअल मेमोरी के क्या फायदे है (Advantages of Virtual Memory) ?

वर्चुअल मेमोरी का उपयोग करने के निम्नलिखित लाभ शामिल हैंः-

  • यूजर वास्तविक में कम रैम होने के बाद भी बड़े एप्लिकेशन को चला सकते है ।
  • यह एप्लिकेशन को सेयर मेमोरी को मैनेज करने से मुक्त करता है और यूजर को रैम स्पेस खत्म होने पर मेमोरी मॉडयुल जोड़ने से बचाता है ।
  • इससे मल्टीप्रोग्रामिंग की डिग्री बढ़ जाती है ।
  • यह मेईन मेमोरी की तुलना में दुगने एर्डेस को संभाल सकता है ।
  • मेमोरी आइसोलेशन के कारण यह सुरक्षा को बढ़ा देता है ।
  • यह अधिक एप्लिकेशन को एक साथ उपयोग करने में सक्षम बनाता है ।
  • मेमोरी आवंटित करना अपेक्षाकृत सस्ता है ।

वर्चुअल मेमोरी के क्या नुकसान है (Disadvantages of Virtual Memory) ?

इसमें कोई संदेह नहीं की वर्चुअल मेमोरी के उपयोग के कोई लाभ है, साथ ही इसके कुछ नुकसान भी है, जैसे :-

  • यदि कोई एप्लिकेशन वर्चुअल मेमोरी से चल रहे होते है तो एप्लिकेशन धीमे चलता है ।
  • वर्चुअल मेमोरी का उपयोग करने वाले एप्लिकेशन के बीच स्चि करने में समय लग सकता है ।
  • वर्चुअल स्टोरेज का आकार कंप्यूटर सिस्टम के साथ सेकेंडरी स्टोरेज और एड्रेसिंग स्कीम की मात्रा से सीमित होता है ।

वर्चुअल मेमोरी कैसे काम करती है (How Virtual Memory works) ?

मुझे लगता है कि एक वास्तविक उदाहरण हमेशा सामान्य चर्चा से बेहतर होता है, तो चलिए एक उदाहरण के जरिए वर्चुअल मेमोरी कैसे काम करता है इसे जमझते है :-

मान लेते है कि आपके कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम को सभी चल रहे प्रोग्रामों को स्टोर करने के लिए 600 MB मेमोरी की आवश्यकता है । लेकिन, वर्तमान में आपके कंप्यूटर के फेजिकल मेमोरी रैम पर केवल 150 MB के स्पेस उपलब्ध है । तब आपके कंप्यूटर निम्नलिखित कार्य करेगा :-

  • तब आपका ऑपरेटिंग सिस्टम वर्चुअल मेमोरी मैनेजर नामक एक प्रोग्राम का उपयोग करके आपके ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए 450 MB वर्चुअल मेमोरी सेट करेगा ।
  • तो, इस मामले में, वर्चुअल मेमोरी मैनेजर हार्ड डिस्क पर एक फाइल बनएगा जो कि आवश्यक अतिरिक्त मेमोरी को स्टोर करने के लिए 450 MB आकार का होगा ।
  • आपके कंप्यूटर के ऑपरेटिंग सिस्टम अब मेमोरी को संबोधित करने के लिए आगे बढ़ेगा क्योंकि यह रैम में संग्रहीत 600 MB की वास्तविक मेमोरी को मानता है, भले ही आपके के कंप्यूटर में केवल 1150 MB स्थान उपलब्ध हो ।

वर्चुअल मेमोरी को कैसे मैनेज करते है (How to manage Virtual Memory) ?

एक ऑपरेटिंग सिस्टम के भीतर वर्चुअल मेमोरी को मैनेज करना आसान है, क्योंकि डिफॉल्ट सेटिंग्स है जो वर्चुअल मेमोरी के लिए आवंटित करने के लिए हार्ड ड्राइव स्थान की मात्रा निर्धारित करती हैं ।

वे सेटिंग्स अधिकांश एप्लिकेशन और प्रक्रियओं के लिए काम करेंगी, लेकिन कई बार ऐसा भी हो सकता है कि वर्चुअल मेमोरी को आवंटित हार्ड ड्राइव स्थान की मात्रा को मैन्युअल रूप से रीसेट करना आवश्यक होता है ।

वर्चुअल मेमोरी को मैन्युअल रूप से रीसेट करते समय, वर्चुअल मेमोरी के लिए उपयोग की जाने वाली हार्ड डाइव स्पेस की न्यूनतम और अधिकतम मात्रा निर्दिष्ट की जानी चाहिए ।

वर्चुअल मेमोरी के लिए बहुत कम HDD स्थान आवंटित करने से कंप्यूटर में RAM समाप्त हो सकती है ।

यदि आपके सिस्टम को लगातार अधिक वर्चुअल मेमोरी स्पेस की आवश्यकता होती है, तो आपके कंप्यूटर के लिए और अधिक रैम जोड़ना चाहिए । आमतौर पर ऑपरेटिंग सिस्टम यूजरों को वर्चुअल मेमोरी के लिए RAM की 1 1/2 गुना मात्रा से अधिक बढ़ाने की अनुमति नहीं देते ।

फेजिकल मेमोरी और वर्चुअल मेमोरी में क्या अंतर है (Difference between Physical Memory and Virtual Memory) ?

Physical MemoryVirtual Memory
फेजिकल मेमोरी सिस्टम पर वास्तविक रैम को संदर्भित करती है, जो मदरबोर्ड से जुड़ी होती है ।वर्चुअल मेमोरी एक मेमोरी मैनेजमेंट तकनीक है, जो यूजर को वास्तविक फेजिकल मेमोरी क्षमता से बड़े प्रोग्राम को निष्पादित करने की सुविधा प्रदान करता है ।
 जब कंप्यूटर को स्टोरेज की आवश्यकता होती है, तो सबसे पहले फेजिकल मेमोरी RAM का उपयोग करता है ।वर्चुअल मेमोरी का उपयोग तभी किया जाता है जब RAM के स्पेस भर जाती है ।
  
  
  

निर्ष्कष – Conclusion

मुझे आशा है इस पोस्ट से आपने ऑपरेटिंग सिस्टम में वर्चुअल मेमोरी क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी हिन्दी में प्राप्त कर लिया है ।

अगर फिर भी वर्चुअल मेमोरी को लेकर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमें टिप्पणी अनुभाग के जरीए पुछ सकते है ।

FAQ’s

Q1 :  

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